“हमारे देश की एक बड़ी विडबना है की यहाँ पर सरकारी योजनाओ का पैसा पहले नेता और बड़े अफसरों में बटता है तब कही जा कर कुछ बचता है तो ही आगे मिलता है। सभी सरकारी स्कूलों में मिलने वाली स्कॉलरशिप का तो कभी भी सुनने को नहीं मिलता है। करोडो रुपयों का गमन अधिकारिओ से लेकर नेताओ तक बंदर बाँट होता है। शिक्षा के नाम पर ऐसी घटिया हरकतों की वजह से यह देश विकसित देशो के मुकाबले अभी तक विकासशील देशो की लिस्ट में भी काफी पीछे आता है।”
चाय वाले की बेटी को अमेरिका के कॉलेज की तरफ से मिली 3.8 करोड़ की स्कॉलरशिप।
tea seller daughter received scholarship from US college : सरकारी स्कूल में मिलने वाली स्कॉलरशिप जो की किसी भी गरीब पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य बनाने में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है परन्तु स्कॉलरशिप न मिल पाने की वजह से बच्चो का प्रदर्शन में कमी आने लगती है।
हमारे देश में अब करप्शन की वजह से नई प्रतिभाओ के लिए शायद जगह न हो परन्तु विदेशो में भारतीय छात्रों के लिए उनकी प्रतिभाओ के लिए काफी जगह और इज्जत है। यहाँ के पढ़ने वाले बच्चो के लिए विदेशी संस्थाओ और स्कूल्स की और से करोडो रुपयों के पैकेज तक मिलने लगे है।
ऐसी ही एक उभरती हुई प्रतिभा है यूपी के गौतम बुद्ध नगर जिले की 17 वर्षीया सुदीक्षा भाटी। जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी की जागीर या मोहताज नहीं होती। बता दें कि सुदीक्षा भाटी और उसका परिवार ग्रामीण और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखता है।
सुदीक्षा के मार्क्स को देखने के बाद अमेरिका से उनको 3.8 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप का ऑफर दिया है। वह अब आगे की पढ़ाई करने अमेरिका जाने की तैयारी कर रही है।
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सुदीक्षा के पिता चाय बेचकर घर का खर्चा चलते है।
शुरुवाती दिनों में सुदीक्षा की पांचवी तक की पढ़ाई उसके गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल में हुई थी। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी नोएडा में चाय बेचकर बमुश्किल ही अपने घर का खर्चा चलाते है। वह चाय बेचने से महीने के पांच, छह हजार ही कमा पाते है और पुरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हें के कंधो पर है। परंतु सुदीक्षा के पिता ने अपनी बेटी के पढ़ाई के प्रति रूचि को देख कर उसकी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया।
सुदीक्षा की पांचवी तक की पढ़ाई उसके गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल में हुई थी। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुदीक्षा के पिता जितेंद्र भाटी नोएडा में चाय बेचकर घर का खर्चा चलाते हैं। परंतु सुदीक्षा के पिता ने अपनी बेटी के पढ़ाई के प्रति रूचि को देख कर हर संभव प्रयास किया।
सुदीक्षा के मार्क्स को देखने के बाद दादरी के विधायक ने उनके परिवार को हार्दिक बधाई दी साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए सुदीक्षा को पढ़ाने के लिए पूरा सहयोग दिया। सुदीक्षा की उम्र लगभग 17 वर्ष की हैं और इतनी कम उम्र में बड़ी सफलता हासिल की है। सुदीक्षा और उसका परिवार दादरी के दूम मानिकपुर गांव के रहने वाले हैं और उसे अमेरिका के एक प्रतिष्ठित बॉबसन कॉलेज से करीब 3.8 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप दी गई है।
एक साक्षात्कार में सुदीक्षा ने बताया कि उसके माता-पिता कम पढ़े लिखे है, परंतु उन्होंने अपनी होनहार बेटी को हर तरह से पढ़ाने में सहायता की।
घर की आर्थिक तंगी रास्ता ना रोक सकी।
शुरुवात से ही सुदीक्षा को पढ़ना काफी पसंद था। घर में आर्थिक तंगी होने के बावजूद सुदीक्षा के माता पिता ने हर हालत में सुदीक्षा को पढ़ने से नहीं रोका और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। सुदीक्षा का पालन पोषण काफी ख़राब हालातो में हुआ था। परन्तु सुदीक्षा के पढ़ने में तेज होने से आज उनकी राह आसान हो गई और आगे पढ़ने और बढ़ने में सारी रुकावटें भी हट गई है।
वो कहते है न की ”प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती” लगन और मेहनत से कोई भी मंजिल आसान हो जाती है। पैसो की समस्या होते हुए भी सुदीक्षा की शुरुवाती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से हुई। सुदीक्षा को पहले जवाहर नवोदय विद्यालय में एडमिशन दिलाने की कोशिश की गई परन्तु वहां उनका एडमिशन न हो सका।
वर्ष 2009 दुल्हेरा गांव से सुदीक्षा ने हाई स्कूल की पढ़ाई “शिव नाडर फाउंडेशन” के “विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी” से पूरी की। इस संस्थान में ऐसे गरीब और मेधावी छात्रों का दाखिला लिया जाता है जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय होती है।
दाखिले से पहले एक समय ऐसा भी था जब आर्थिक हालात ठीक न होने की वजह से सुदीक्षा की पढ़ाई छूटने की नौबत आ गई थी परन्तु पिता किसी भी वजह से सुदीक्षा की पढ़ाई को जारी रकना चाहते थे। एक तरफ पिता बेटी की पढ़ाई जारी रखने के लिए कोशिश में लगे थे वही दूसरी ओर सुदीक्षा अपनी पढ़ाई के लिए जूझ रही थी। अंततः बेटी की पढ़ाई जारी रखते हुए बेटी का स्कूल जाना चालू रखा।
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गरीब बच्चो के शिक्षा के लिए विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी संस्था
शिव नाडर फाउंडेशन के विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी संस्था के द्वारा गरीब परिवारों के हजारो बच्चे एजुकेशन ले रहे है। विद्या ज्ञान एकेडमी गरीब परिवार के बच्चो के लिए आर्थिक रूप से मदद भी करती है। एकेडमी सुदीक्षा की पढ़ाई के लिए वर्ष 2011 में आर्थिक सहायता भी देने लगी। विद्या ज्ञान लीडरशिप एकेडमी ने सुदीक्षा की छिपी हुई प्रतिभा को पहचाना और उसे उड़ने के लिए पंख दिए।
2018 में CBSE से इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में सुदीक्षा ने 98% अंक प्राप्त कर अपने जिले में टॉप किया और अपने माता-पिता के साथ साथ गांव और जिले का नाम रोशन किया है। यहां सुदीक्षा ने बताया कि उनको इंग्लिश में 95, हिस्ट्री में 100, पॉलिटिकल साइंस में 96, जियोग्राफी में 99 और इकोनॉमिक्स मैं 100 अंक प्राप्त किए हैं। सुदीक्षा के मार्क्स को देखते हुए इस संस्था ने उसके लिए अमेरिका के एक प्रसिद्ध और नामी कॉलेज में स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया गया। जिसे मंजूरी मिल गई।
सुदीक्षा को अमरीका के बॉबसन कॉलेज से फुल टाइम स्कॉलरशिप मिली
अमेरिका के बॉबसन कॉलेज से सुदीक्षा को आंत्रेप्रेन्यॉरशिप में चार साल के ग्रैजुएशन के लिए फुल टाइम स्कॉलरशिप मिली है। इससे उसके घरवालों के साथ-साथ परिवार वाले, सहपाठी, और टीचर्स भी काफी खुश है। सभी उसकी लगन और प्रतिभा पर गर्व महसूस कर रहे है।
सुदीक्षा का यह नया सफर जो उसके गांव मानिकपुर से अमेरिका तक है, किसी कल्पना से कम नहीं है। वह अपने गांव की पहली ऐसी लड़की है जो अमेरिका जा कर आगे की पढ़ाई करेंगी। सुदीक्षा कहती हैं यदि लक्ष्य और इरादा मजबूत हो तो हमें हर हालत में सफलता मिलेगी। उसके जीवन का लक्ष्य अमेरिका से पढ़ाई पूरी करके अपने गांव जाकर अपने माता-पिता की सेवा के साथ-साथ एक IAS ऑफिसर बनकर देश की भी सेवा करेगी।
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सुदीक्षा भाटी ने अपनी मेहनत से अपने पिता जितेंद्र भाटी की मेहनत को साकार किया है। जिस वजह से उन्हें आज अमेरिका मैं पढ़ने का सुनहरा अवसर मिला है।
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