पानी का इंसान के लिया क्या मोल है ? शायद इसका जवाब हमे देने की जरुरत नहीं है क्योकि पानी की जरुरत हर इंसान के लिए उतनी ही जरुरी है जितना की हमे सांस लेना परन्तु हमारे देश में में कई राज्यों में ऐसे कई गांव है जहा पानी की बहुत कमी है। राज्य सरकार के द्वारा पानी की समस्या के लिए कई योजनाएँ सुचारु रूप से चालू तो है परन्तु वह योजनाए गांव तक आते आते केवल कागजो में ही दबी रह जाती है। गांव में हैंडपंप तो लगवा दिए जाते है परन्तु उनका रखरखाव, मरम्मत सब कुछ फाइलों में होता है परन्तु वास्तव में नहीं। ख़राब हैंडपंप, गांव में पानी की समस्या ये अधिकारियो के लिए आम बात है परन्तु उस गांव के लोगो के लिए मरने जैसी नौबत है।
बुंदेलखंड की “हैंडपंप वाली ताइओ” ने गांव में किया एक अनोखा प्रयास।
bundelkhand hand pump repair ladies in the village ऐसी ही एक समस्या से गुजरते हुए गांव की महिलाओ ने खुद को बचाने और लोगो की मदद करने के लिए पुरुषो के काम को अपने हाथो में लिया और गांव के ख़राब पड़े सभी हैंडपंप को सही किया, यहाँ तक की अब उन्हें दूर के गाँवो से भी बुलावा आता है।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में लोग पानी पीने के लिए तरस रहे हैं क्योंकि यहां 5 सालों से पानी के सभी स्त्रोत लगभग सुख चुके हैं। यहां के लगभग सभी ट्यूबवेल और हैंड पंप की स्थिति भी खस्ताहाल हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहां की स्थानीय आदिवासी महिलाों ने सबके लिए एक मिसाल बनकर उभरकर सामने आई है और इस तरह की समस्याओं का निपटारा यहाँ की महिलाये खुद ही कर लेती हैं। इन महिलाओं को वहां के स्थानीय लोग प्यार से “हैंडपंप वाली ताई” के नाम से पुकारते हैं।
सशक्तिकरण की मिसाल
सामान्यतया ट्यूबवेल और हैंड पंप की मरम्मत का काम अधिकतर पुरुषो के द्वारा ही किया जाता है परंतु इन महिलाओं ने इस धारणा को तोड़कर रख दिया है और अपने हाथों से हैंडपंप की मरम्मत से संबंधित भारी-भारी औजारों को लेकर पिछले 8-9 सालों में 100 से भी अधिक हैंडपंपों की मरम्मत कर चुकी हैं। इनके समूह में कुल 15 महिला सदस्य हैं जो अपनी साड़ी से सर ढक्कर काम करते हुए एक महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करती है।
दूर-दूर गाँव से मरम्मत के लिए बुलवाते है।
यह हैंडपंप वाली ताइयाँ मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड स्थित छतरपुर जिले के झिरियाझोर गांव के साथ-साथ अन्य राज्यों में (राजस्थान, दिल्ली, भोपाल) भी जा कर हैंडपंप की मरम्मत का काम कर चुकी हैं। दूर दूर के गांव से इनके पास हैंड पंप की मरम्मत के लिए फोन आते रहते हैं और ये हमेशा अपने काम के प्रति तत्पर रहती हैं और लोगों की मदद के लिए अपनी पूरी टीम के साथ उस गांव में जाकर हैंडपंप की मरम्मत व की पानी की परेशानी का निपटारा करती हैं।
नारी सशक्तिकरण दूर-दूर गांव-गांव में पैदल जाकर हैंडपंप की मरम्मत करती हैं और इन्हें अब तक किसी भी सरकारी संस्था या प्राइवेट संस्थाओं के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि स्थानीय और दूर-दूर गांव के लोग हैंडपंप की मरम्मत के लिए सरकार और प्रशासन की तरफ से देरी होने के कारण इन हैंडपंप वाली ताइओ को पहले प्राथमिकता दी जाती है।
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पानी की समस्या, ट्यूबवेल व हैंड पंप`की खराब स्थिति
गाँव की ताइयो ने ANI से साक्षात्कार के दौरान बताया कि यहां पानी की समस्या हर समय बनी रहती है और ट्यूबवेल व हैंड पंप दोनों ही खराब स्थिति में है, सरकार और प्रशासन की लापरवाही की वजह से यहां के लोगों को पानी पीने की समस्या से सामना करना पड़ता था। जिससे उन्हें बहुत सारी परेशानी होती थी। तब उन्होंने 15 महिलाओं का एक समूह बनाकर हैंडपंप की मरम्मत करने का काम शुरू कर दिया।
पुरुषो को पीछे छोड़ती महिलाये।
आज के समय में भारत जैसे देश की प्रत्येक महिला किसी भी तरह से पुरुषों से कम नहीं हैं। कभी हमारा भारत पुरुष प्रधान हुआ करता था परंतु आज के भारत में महिलाओं ने पुरुषों के कार्यों को भी अपना लिया है, चाहे वो अन्न उगाना हो या प्लेन उड़ाना, चाहे IPS ऑफिसर हो या गली में पंक्चर लगाना, टेंपो से ट्रेन तक का सफर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले बड़ी ही कुशलता और निपुणता के साथ निभाया है। घर में अपने घरवालों को संभालना और हमारे देश की राष्ट्रपति बन कर देश को संभालना महिला हर कार्य में पुरुषों से कहीं बेहतर करती हैं। पुरुष प्रधान देश होने के बावजूद महिलाओं की आमदनी पुरुषों के मुकाबले कहीं अधिक है। शिक्षा जगत में आज हर जगह लड़कियां लड़कों के मुकाबले ज्यादा अंक आती हैं।
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जागरूक महिला प्रधान देश
झिरियाझोर गांव तो केवल एक उदाहरण है जहां महिलाओं ने ऐसे काम की जिम्मेदारी संभाली। जो काम सरकार को करवाना चाहिए, उन सभी कामो को वहां की स्थानीय महिलाओं ने संभाला हुआ है। सरकार के ढीलेपन की वजह से महिलाओ के एक समूह ने मिलकर एक टीम बनाकर आज पुरुषों का काम संभाला है।
इसी तरह हमारे देश की प्रत्येक महिला जागरूक हो जाएं तो बहुत जल्द ही हमारा देश पुरुष प्रधान नहीं बल्कि महिला प्रधान देश कहा जाएगा और साथ ही लोगों की परेशानियों का भी जल्द निपटारा होगा।
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