“असफलता ही हमे सफलता का रास्ता दिखाती है। बार बार की असफलता, सफलता पाने की पहली सीढ़ी होती है।”

ऐसा ही 3 दोस्तों के साथ हुआ जो कि भारत के रहने वाले हैं। जिनके कई सारे प्रोजेक्ट के फेल हो जाने पर अचानक उनके हाथ में ऐसी सफलता मिली कि जैसे अलादीन के हाथ में चिराग मिल गया हो। इनके इस प्रोजेक्ट के द्वारा इंडियन ही नहीं करोड़ों अमेरिकी व्यक्ति भी उनके फैन हो गए।

14 बार फेल होने के बावजूद भी खड़ी की 3 दोस्तों ने ShareChat कंपनी।

after failed 14 times 3 friends standup the sharechat company जी हाँ हम बात कर रहे हैं, भानु प्रताप सिंह, फरीद आसान और अंकुश सचदेवा की जिन्होंने अपनी IIT की पढ़ाई करने के बाद कई प्रोजेक्टों पर काम किया परंतु वह सब के सब फेल हो गए। उसके बाद उन्होंने शेयर चैट के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया और आज भारत के अलावा अमेरिका में भी शेयर चैट के करोड़ों सब्सक्राइबर हैं। इस सफलता से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे सभी सोशल मीडिया का भारतीय वर्जन माना जा रहा है।

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शेयर चैट के बारे में।

यह एक फ्री एंड्राइड ऐप है जो भारत में बोली जाने वाली लगभग 10 भाषाओं में है। शेयर चैट में एक बहुत ही बेहतरीन तकनीक है जिसे और सभी सोशल मीडिया एप्लीकेशन WhatsApp और Facebook से अलग बनाती है। इसमें अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी, भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी जैसी राज्य स्तर की भाषाओं के साथ आप पोस्ट को कहीं भी और किसी को भी भेज सकते हैं जो कि अलग-अलग भाषाओं में होने के कारण सभी भारतीयों के लिए अधिक उपयुक्त रहता है और इसे यूजर फ्रेंडली बनाता है। शेयरचैट की नींव तीन दोस्तों भानु, फरीद और अंकुश के द्वारा 2015 में रखी गई थी।

शेयर चैट एप्लीकशन में हमेशा करीब 40 लाख यूज़र्स एक्टिव रहते हैं जो 2 लाख से भी अधिक पोस्ट प्रत्येक दिन अपने मित्रों और रिश्तेदारों को शेयर करते हैं। गुड मॉर्निंग, मैसेजेस,जोक्स और क्वोट्स आदि को इस एप्पलीकेशन में शामिल किया गया है। उनके पोस्ट में वीडियो, न्यूज़ आदि भी इस एप्पलीकेशन के द्वारा शेयर किया जा सकता है। उनके पहले चरण की सफलता के द्वारा 36 करोड़ की फंडिंग मिल गई है। जल्द ही वे दूसरे चरण की योजना की फंडिंग की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं।

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शेयर चैट की शुरुवात 3 दोस्तों के द्वारा।

तीन दोस्तों के द्वारा शेयर चैट के प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई। 25 वर्ष के फरीद ने अपने दो और दोस्तों भानु प्रताप सिंह और अंकुश सचदेवा जिन्होंने अपने IIT की पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनो ने साथ में  शेयर चैट का प्रोजेक्ट शुरू किया। फरीद बताते हैं कि वह भारत में अपना एक सोशल मीडिया का नेटवर्क बनाना चाहते थे। इस प्रोजेक्ट में अंकुश सचदेवा चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर, फरीद आसान सीईओ और भानू प्रताप सिंह सीटीओ के पद पर कार्यरत है। वर्ष 2015 में उन्होंने अपना शेयर चैट का ऑफिस बेंगलुरु के पॉश इलाके में शुरुआत करके धीरे धीरे उसमें 50 लोगों की एक मजबूत टीम बना ली है। जिसमें से 18 डेवलपर व कुछ ग्राफिक्स डिजाइनर भी शामिल हैं।

फेसबुक से कम्प्टीशियन की तैयारी।

भारत में 24 करोड एक्टिव यूजर्स Facebook के हैं और अमेरिका में भी Facebook के करीब 24 करोड़ यूजर हैं। हम तीनों के मुताबिक Facebook में लोकल लैंग्वेज में ज्यादा ऑप्शन ना होने के कारण शेयर चैट के द्वारा आसानी से सरवाइव कर सकते हैं। परंतु शेयर चैट में भारत में बोली जाने वाली सभी भाषाओं के कारण उन्हें काफी समस्याओ का सामना करना पड़ा।

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14 प्रोजेक्ट के फेल होने के बाद।

फोर्ब्स ने अपनी पत्रिका ने उन तीनों दोस्तों को अंडर 30 की लिस्ट में जगह दी है। तीनों दोस्तों मिलकर पिछले 6 वर्षों से साथ काम कर रहे है। पहले तीनों दोस्त बिजनेस पार्टनर हुआ करते थे उसके बाद उनकी मित्रता गहरी होती चली गई। उन्होंने पहले एक साथ मिलकर 17 प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जिसमें से 14 प्रोजेक्ट फेल हो गए पर 15वें प्रोजेक्ट पर कुछ सफलता इनके हाथ लगी। 15 में प्रोजेक्ट से पहले उन तीनों ने एक चैट साइट का प्रोजेक्ट की शुरुआत की जिस पर वह बॉलीवुड के No.1 खान की बहस करवाने के बारे में विचार कर रहे थे पर उनका ये प्रोजेक्ट भी जल्द ही फेल हो गया था।

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इसी बीच में चैटफाइट के द्वारा 32,000 लोग ऐसे मिले जो केवल अपनी स्थानीय भाषा में अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ Chat (बात) करना पसंद करते थे। उन तीनों ने एक सर्वे किया जिसमे तीनो मित्रों ने देखा कि मिदनापुर के एक रिटायर्ड प्रोफेसर एक ऐसे प्लेटफार्म की तलाश में थे जहां वह अपने स्थानीय भाषा में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ बातचीत कर सकें।

रिटायर्ड प्रोफेसर की तरह भारत में लाखों लोग ऐसे थे जो केवल अपनी ही स्थानीय भाषा में बातचीत करना चाह रहे थे।  जिसके कारण भारत में लोकल भाषा की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही थी।

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Jio के आने के बाद मिलने लगा ज्यादा फायदा।

पिछले वर्ष में जिओ के द्वारा फ्री डाटा और सस्ते स्मार्टफोन के आ जाने से भारत में सभी व्यक्तियों के पास इंटरनेट की सुविधा आ गई है। सेमी अर्बन और ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोगों के लिए स्थानीय भाषा में कोई ऑप्सन नहीं था जिसके चलते स्थानीय भाषा की मांग बढ़ती चली गई। 2014 में उन्होंने शेयर चैट के प्रोजेक्ट में इंग्लिश भाषा को हटा दिया। जल्द ही वह तीनो ने User Content System पर काम शुरू कर दिया।

हिंदी पढ़ने वालो में ज्यादा बढ़ोतरी की सम्भावना।  

KPMG की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले वर्ष 2021 में भारत में रहने वाले लोगों में से 75% लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे होंगे। 2021 तक इंटरनेट पर हिंदी में पढ़ने वालो की तादात अंग्रेजी में पढ़ने वालो के मुकाबले काफी अधिक होगी। इसमें मराठी, बंगाली और तमिल में पढ़ने वाले लोगों को भी शामिल किया गया है। इसी सर्वे के आधार पर इन तीनों दोस्तों ने मिलकर अपनी एक रणनीति तैयार की।

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शेयर चैट के यूजरो की संख्या छोटे शहरो में ज्यादा।

हाल ही में उनके ऐप के 70% से अधिक यूजर्स 12 से 25 साल के युवा और 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग है। इनमे से 86 प्रतिशत आबादी टियर II और टियर III शहरो से है। अन्य यूजर्स भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर अन्य देशों जैसे कि बांग्लादेश, दुबई और कनाडा में भी है जिनका 5 प्रतिशत का रेश्यो है। शेयर चैट के कंटेंट प्रत्येक दिन WhatsApp में लगभग 35 लाख शेयर होते हैं।

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इन तीनों दोस्तों ने सबके सामने यह साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और सफलता पाने से पहले कई बार असफलताओं का भी सामना करना पड़ता है शेयर चैट के प्रोजेक्ट के सफल हो जाने से पहले भी उनके कई प्रोजेक्ट फेल हो गए थे। तब वह सभी शेयर चैट के माध्यम से आज इस मुकाम तक पहुंचे और उन्होंने मिलकर इस प्रोजेक्ट के द्वारा अपनी एक कंपनी खड़ी की।

 


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