कहते हैं ना “एक से भले दो और दो से भले चार” यानी कि कोई इंसान अकेला किसी काम को करें तो शायद उसे इतना फल ना मिले परंतु यदि वह कुछ लोगों के समूह के साथ उस काम को करने लगे तो शायद समय से पहले और मेहनत से ज्यादा उस काम को कर ले। इसी बात को सिद्ध करते हुए आज हम बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही महिलाओं के समूह के बारे में जो अपनी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपने काम को करती जा रही है। उनकी मेहनत इतनी बुलंद हो गई है कि आज वर्ल्ड बैंक की टीम उनके इस समूह का प्रचार पूरी दुनिया में कर रही है।
छत्तीसगढ़ की यह महिलाएं आपस में एक बड़ा समूह बनाकर अलग-अलग तरीके के कई सामान को यह खुद बनाकर गांव में व अपने आसपास के शहरों में घूम-घूम कर बेच रही हैं। आपको शायद यकीन ना हो लेकिन पिछले कुछ महीनों में ही उन्हे लगभग 6 करोड़ से ज्यादा के ऑर्डर मिले हैं। यह समूह हर महीने लगभग तीन से चार लाख की कमाई आसानी से कर लेता है। chhattisgarh womens earning millions.
तो चलिए जानते हैं इन महिलाओं के बारे में जिन्होंने इस तरह का समूह बनाकर अपनी जिंदगीं को न केवल बेहतर बनाया है बल्कि सफलता के शिखर पर अपनी मेहनत का झंडा भी लहराया है।
विदेशो तक चर्चा।
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित आरंग जिला पंचायत के एक छोटे से गांव मंदिरहसौद में रहने वाली महिलाओं ने आपस में मिलकर एक समूह के द्वारा बाजार में अलग-अलग प्रकार के प्रॉडक्ट लेकर आ रही हैं। पूरे देश में इस महिलाओं ने अपनी एक अलग मिसाल कायम की हुई है और पूरे देश मे हो रही उनकी चर्चा सुनकर वर्ल्ड बैंक की टीम ने आकर उनके साथ बातचीत की और उनके समूह की प्लानिंग को समझते हुए एक रिपोर्ट बनाई है और साथ ही पूरी दुनिया मे मार्केटिंग के लिए उनके समूह की रिपोर्ट के माध्यम से आगे की योजना तैयार की है।
घरेलू प्रॉडक्ट को बनाकर बाजार मे बिक्री।
ये सभी महिलायें आपस में मिलकर समूह के द्वारा मार्केट के कई समान जैसे लाइटिंग प्रॉडक्ट, साड़ी, मेंहदी आदि सामानो की गिफ्ट पैकिंग, फूलों की सप्लाई, लिफाफे बनाना, कपड़े सिलना, लांड्री सर्विसेस, पूजन का सामान बनाना आदि शामिल है। वे सभी महिलाये अपने काम के साथ साथ ठेले पर सब्जियां बेचने व जनरल स्टोर की भी दुकान चला रही है। इनमे से कई महिलाये अलग-अलग गांव में जाकर सामानों को ग्राहकों के आर्डर पर उनके घरों तक पहुंचाने का काम भी बड़ी ही आसानी के साथ कर रही है।
“मिशन-25” का बड़ा नेटवर्क।
वे अकेले ही अपने सभी अलग-अलग कामों को जैसे कि सामानों को बनाना, पैकिंग, पूर्ति और उन सामानों को बाजार मे बेचने का काम बखूबी से कर रही हैं। वे अपने इस काम को एक मिशन की तरह कर रहीं हैं जिसका नाम उन्होंने “मिशन-25” रखा हुआ है।
इस तरह से इन सभी महिलाओ ने गांव, शहर और कस्बों में अपना एक बड़ा नेटवर्क बना रखा है। इनके साथ में जूड़े हुए लोग दुकानों, संस्थाओ, होटलों, स्कूलों व छोटी बड़ी दुकानों से उनके लिए उनकी डिमांड के मुताबिक ऑर्डर लेते रहते हैं। इस तरह से रायपुर राज्य का पहला जिला बन गया है जिसमें महिलाओं ने अपने समूह के माध्यम से पूरी दुनिया मे अपना प्रचार- प्रसार किया किया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा के साथ जोड़ना और अलग-अलग कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे ग्रामीण लोगों की ज़िंदगी को बेहतर बनाना ही इस तरह के मिशन यानि कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का मुख्य लक्ष्य है। जून, सन 2011 में इस बात को सोचते हुए मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) को शूरू किया था, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण में रहने वाले गरीब लोगों को सक्षम बनाना है। chhattisgarh womens earning millions.
ग्रामीण लोगो को मुख्य धारा से जोड़ने का काम।
ग्रामीण लोगो को मुख्य धारा से जोड़ने के साथ ही प्रभावशाली संस्थागत मंच के जरिये उनकी आमदनी में लगातार और बेहतर वृद्धि के साथ ही वित्तीय सेवाओ तक हर गाँव व कस्बों के हर व्यकित तक उनकी पहुँच बन सके, जिनके पारिवारिक आमदनी बहुत कम है और जो गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इस काम के लिए विश्व बैंक की तरफ से मंत्रालय को आर्थिक मदद भी मिलती है।chhattisgarh womens earning millions.
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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ने स्व-सहायता समूह और सभी संघीय संस्थानों के द्वारा 600 जिले, छह हजार प्रखंडों, ढाई लाख ग्रामीण पंचायत और छह लाख गांवों मे रहने वाले करीब सात करोड़ गरीब ग्रामीण परिवारों (BPL) धारको को 8 से 10 वर्ष अवधि के अंतराल मे जीवनपार्जन करने के लिए आवश्यक संसाधन की व्यवस्था करने साथ ही पूर्ण सहयोग देने के लिए स्वयं को बाध्य कर रखा है।
NRLM के द्वारा ग्रामीण लोगों की क्षमताओं को विकसित करने का काम।
इसके अलावा, गरीब जनता के लिए स्वयं के अधिकार और जनसेवाओं का पूर्ण लाभ उठाने के लिए, अलग-अलग प्रकार के जोखिम सहन करने के लिए और सशक्तीकरण के बेहतर विकल्पों सामाजिक संकेतकों को समझने में मदद करता है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) इस बात को ध्यान में रखता है कि गरीब लोगों की क्षमता और उनकी मेहनत का सही उपयोग हो और देश की आर्थिक व्यवस्था की बढ़ौतरी में गरीब लोगों का भी योगदान रहे। इसके लिए एनआरएलएम NRLM ग्रामीण लोगों की सूचना, ज्ञान, कौशल, संसाधन, फाइनेंस (वित्त) तथा समूह से जुड़ी क्षमताओं को विकसित करने पर काम कर रही है। chhattisgarh womens earning millions.
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महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का कार्यभार।
रायपुर राज्य की महिलाओं को इस मिशन की वजह से एक सुनहरा अवसर मिला है। एक समय ऐसा था जब छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर में रहने वाली अधिकतर महिलाएं मनरेगा की मजदूरी के जरिये ही घर-गृहस्थी को चलाने के लिए मजबूर थीं, परंतु अब ये महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के साथ जुड़कर अपने घर की आर्थिक स्थिति की दशा को सुधार कर रख दिया है। chhattisgarh womens earning millions.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा चलाये जा रहे मनरेगा यानि कि महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अंतर्गत रखकर 2 अक्टूबर 2005 में शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की बेहतर ज़िंदगी बनाई जा सके। इस योजना के नाम को दिनांक 31 दिसंबर 2009 को राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना “नरेगा” से बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना मे बदल दिया।
करोड़ो रुपये मे ऑर्डर कुछ ही महीनों मे।
वर्तमान समय में “मिशन-25” के छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में लगभग दो हजार से भी अधिक स्वयं सहायता समूह में एक लाख से भी अधिक महिलाएं सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं। जिला पंचायत ने इस महत्वपूर्ण कार्य मे सभी गाँव व कस्बो को पूर्ण सहयोग किया है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन की हर गाँव व कस्बों तक पहुँच बनने से यह संभव हो पाया है की 6 महीने में ही स्वयं सहायता समूह को लगभग 6 करोड़ रूपये का आर्डर आ चुके थे।
जरूरत की चीजों का निर्माण और बिक्री।
कुछ समय पहले वर्ल्ड बैंक (विश्व बैंक) के तीन सदस्यों एक टीम जब स्वयं सहायता समूह के काम-काज को देखने व उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए आई तब स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। स्वयं सहायता समूह पेवर ब्लॉक व साबुन बनाने की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के जरिये अकेले ही हर महीने तीन लाख रूपये की आमदनी कर रहे है।
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इस काम के अलावा स्वयं सहायता समूह chhattisgarh में सेनेटरी नैपकिन का निर्माण करके उसे मार्किट में बेचा भी जाता है। मैग्नेटो मॉल और आईआईएम में तो स्वयं सहायता समूह के द्वारा स्टॉल के द्वारा भी बिक्री की जा रही है। साथ ही स्वयं सहायता समूह के जरिये ये महिलाएं womens ऑफिस के लिए स्टेशनरी, पेन, फिनाइल आदि बनाकर मार्किट में दुकानदारों को भी सप्लाई कर रही हैं। स्वयं सहायता समूह के द्वारा बनाये हुए ट्रिपल बीआइटी, आईटी और छोटे-बड़े होटल में भोजन बनाने के लिए और कपड़ो के लिए ड्राईक्लीनर्स की भी सप्लाई इनके माध्यम से हो रही है और साथ ही साथ लाखो रुपये की कमाई earning millions भी इस समूह के साथ हो रही है।
इस तरह से इन महिलाओं ने मिलकर एक स्वयं सहायता समूह के जरिये अपना “मिशन-25” बनाकर स्वयं ही अपनी जिंदगी को बेहतर बना रही हैं।