“दोस्तों क्या आपने कोई ऐसा गांव देखा है जहां पर बिजली पानी और सड़क के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे भी लगे हो। गांव में साफ-सफाई हो और हर गली हर सड़क के कोने पर डस्टबिन रखे हो। पूरे गांव की हलचल सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से नजर रखी जा रही हो। शायद आपको इस बात पर भरोसा ना हो रहा हो परंतु यह सत्य है जी हां यह गांव भारत के स्मार्ट स्मार्ट गांव की श्रेणी में आता है। जिसे ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन टैग भी मिला हुआ है।”
युवा प्रधान दिलीप कुमार त्रिपाठी ने स्मार्ट विलेज बनाने का सपना किया साकार।
dilip kumar tripathi made digital village इस गांव को मेट्रो गांव में बदलने के लिए यहां के प्रधान की तारीफ जितनी की जाए उतनी कम है। कभी एक समय था जब इस गांव में सड़के तो क्या बिजली पानी जैसी बेसिक आवश्यकताएं भी बिल्कुल नहीं थी और इस गांव में गरीबी और पलायन हद से ज्यादा थे। परंतु आज के समय में इस गांव में ऐसी-ऐसी सुविधाएं हैं जो शायद ही आपको किसी बड़े शहर में या किसी बड़े कस्बे में भी ना हो।
युवा प्रधान दिलीप कुमार त्रिपाठी ने स्मार्ट विलेज बनाने का सपना किया साकार।
हम आपको बताने जा रहे हैं 10 जिलों में सबसे पिछड़े जिले में शामिल होने वाला गांव जो उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के भाव नगर में स्थित हसूड़ी औसानपुर गांव की।
जहां कभी बिजली पानी जैसी मनुष्य की जीवन की जरूरी आवश्यकता उस गांव में कभी थी ही नहीं थी। परन्तु आज उस गांव को वहां के प्रधान ने हाईटेक मेट्रो सिटी गांव की श्रेणी में रख दिया है। जिसका सारा श्रेय ग्राम प्रधान दिलीप कुमार त्रिपाठी को दिया जाता है। जिनकी लगन और कड़ी मेहनत से यह सब संभव हो पाया।
गरीबी और पलायन की मार झेल रहे गाँव को बदला स्मार्ट गांव में।
सन 2015 में मसूरी औसानपुर गांव में हुए चुनाव में प्रधान के पद पर दिलीप कुमार त्रिपाठी निर्वाचित हुए अपने गांव के प्रधान होने के बाद दिलीप त्रिपाठी ने जब उस गांव की परिस्थितियों को देखा, तब उन्हें यह जानकर बहुत अफसोस हुआ कि उनके आने से पहले और भी कई प्रधान इस गांव में हुए थे जिन्होंने उस गांव की कभी भी कोई शुध नहीं ली और वह गांव गरीबी और पलायन की मार झेल रहा था।
उन्होंने इस गांव की परिस्थितियों से उबरने के लिए उस गांव को हाईटेक गांव की श्रेणी में रखने का निर्णय कर लिया। जल्द ही उन्होंने हंसुली औसानपुर को संपूर्ण सुविधाएं और टेक्नोलॉजी से लैस कर दिया जिसकी चमक दमक मेट्रो सिटी के किसी भी शहर से कम नहीं है।
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अपने इस कार्य के लिए सम्मानित किये गए।
उनकी इस अभूतपूर्व कार्य प्रणाली को देखते हुए उन्हें पंचायती राज दिवस पर नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। दिलीप कुमार पूरे भारत देश में एक अकेले ऐसे ग्राम प्रधान होंगे जिन्हें यह दोनों पुरस्कार एक साथ मिले हो।
इससे पहले भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार ने दिलीप कुमार त्रिपाठी को सम्मानित कर चुके हैं। जिस गांव में पहले कभी मनुष्य के जीवन की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं थी लेकिन अब वहां वह सब कुछ है जिसके बारे में वहां के रहने वाले निवासी गढ़ ने कभी सोचा भी नहीं होगा यह गांव आज भारत देश के हरगांव प्रधान के लिए एक मिसाल बन गई है।
अपने गाँव को शहरो से बेहतर सुविधायें दी।
उनका गांव आज शहरों को मात देता है, पूरा गांव गुलाबी रंग में रंगा है। प्राइमरी से लेकर जूनियर हाईस्कूल तक सभी कुछ इस गांव में है। हर गली नुक्कड़ पर सीसीटीवी, डस्टबिन और लाउडस्पीकर भी लगे हुए हैं पूरे गांव का हुलिया प्रधान दिलीप कुमार त्रिपाठी की वजह से आज बदल चुका है जो भी आज इस गांव के बारे में सुनता है वह वाकई यही बात सोचते है कि शायद भारत के 6.15 लाख गांव में भी इसी तरीके का काम हो तो हमारा देश का भविष्य पूरी तरह बदल जाएगा।
दिलीप कुमार त्रिपाठी जी ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि अपने गांव को सीसीटीवी कैमरे, फ्री वाई-फाई यह सुविधाओं के माध्यम से एक डिजिटल गांव बना दिया है। गांव के विद्यालय में बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए स्मार्ट शिक्षा प्रणाली को मजबूत किया साथ ही बच्चों को संगीत और कंप्यूटर की भी मुफ्त शिक्षा मिल रही है। गांव के विद्यालय की बिल्डिंग भी इस प्रकार बनाई गई है कि वह किसी अंतर्राष्ट्रीय विद्यालय से कम कम नहीं है।
इस गांव में करीब 1034 की आबादी है जहां के सभी लोगों के मकान गुलाबी रंग से रखवा दिए हैं। गुलाबी रंग प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है।
दिलीप त्रिपाठी जी ने अपने प्रधान रहते हुए इस गांव को गोद लेकर इसमें सभी विकास कार्य करवाए जिसकी बदौलत आज वह किसी रोल मॉडल से कम नहीं है।
सरकार की सभी योजनाओ से अपने गाँव को जोड़ा।
अभी कुछ समय पहले इस गांव में एक कृषि चौपाल का आयोजन हुआ जिसमें हजारों किसान, ग्रामीण दूर दूर शहरों से और गांव से वहां पहुंचे उन्होंने जब इस गांव को मेट्रो गांव की तरह देखा तब उन्होंने इस गांव की खूब सराहना की। भारत में आधुनिक भारत की तस्वीर दिखा रहा है यह गांव उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र का जिला सिद्धार्थ नगर से 60 किलोमीटर दूर भनवापुर ब्लाक के हसुडी औसानपुर गांव का है।
इस गांव में केवल आधुनिकरण ही नहीं हुआ है अपितु यहां का हर ग्रामीण भारत सरकार की सभी योजनाओं के बारे में जानकारी रखता है, तथा उनके हर काम में पारदर्शिता होती है।
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इस गांव में अब तक जितने भी प्रधान हुए उन सभी के द्वारा इस गांव को कोई भी राहत नहीं मिल पाई थी पूरे गांव में जलभराव तथा गंदगी की समस्या भरी हुई थी। परंतु दिलीप त्रिपाठी जी के इस गांव को गोद लेने से यहां की पूरी रूपरेखा ही बदल चुकी है।
कुटीर उद्योगों से लेकर सिलाई-कढ़ाई केंद्र, जैविक खेती, व कई लघु उधोगो की स्थापना कराई।
24 अप्रैल 2017 को लखनऊ में आयोजित पंचायती राज दिवस कार्यक्रम के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विदेश के लगभग 59,000 ग्राम प्रधानों से यह आहान किया था कि सभी अपने-अपने गांव को शहरो जैसी सुविधाएं दे तथा स्मार्ट विलेज बनाएं। उस समय इस कार्यक्रम के दौरान दिलीप त्रिपाठी जी भी शामिल थे मुख्यमंत्री जी की सोच को आगे बढ़ाते हुए..
दिलीप त्रिपाठी जी का कहना है कि वह अपने गांव में वह हर सुविधा देना चाहते हैं जो कि शहरों में हर व्यक्ति को मुहैया है तथा सभी सरकारी योजनाओं का लाभ प्रत्येक ग्रामीण को मिले। गांव के हर बच्चे को शिक्षा, गांव की हर बेटी को सुरक्षा तथा गांव की सभी समस्याओं का निवारण उनका एकमात्र उद्देश्य है।
उन्होंने ग्राम में कुटीर उद्योगों की स्थापना करवाई जिनमें सिलाई-कढ़ाई केंद्र, जैविक खेती, लघु उधोग आदि शामिल है वहां हर एक घर को गुलाबी रंग से रंगवाया गया है। जो कि सद्भावना का प्रतीक है। गांव में यदि रोजगार की संभावनाएं होंगी तो शायद ही उस गांव से कभी किसी किसी व्यक्ति या परिवार का पलायन हो।
कम बजट में भी बदली गाँव की तक़दीर।
पूरे देश में 6 लाख गांव है। जिनमें से 70 फ़ीसदी आबादी गांव में ही रहती है। ग्राम पंचायत की आबादी के हिसाब से ही गांव के विकास के लिए हर साल पैसा आता है। सिद्धार्थनगर जिले में 1199 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें से हसुडी औसानपुर ग्राम पंचायत भी शामिल है। इसमें 1024 की एक छोटी आबादी है छोटी आबादी होने की वजह से यहां का बजट मात्र 5 लाख लगभग आता है।
गांव के विकास के लिए ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी जी ने कम बजट की बाधा को ना देखते हुए गांव के हर मोहल्ले हर गली में 23 सीसीटीवी कैमरे, 20 स्ट्रीट सोलर लाइट, 90 LED स्ट्रीट लाइट, 23 पब्लिक एड्रेस सिस्टम, तथा पूरे गांव में 50 से अधिक कूड़ेदान, कॉमन सर्विस सेंटर, वाईफाई केंद्र, कंप्यूटर क्लासेस तथा मॉडल स्कूलों के साथ-साथ 150 नारियल के पेड़ तथा पूरे गांव में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी चलवाया है।
35 लाख रुपए की योजना का एक बेहतरीन तोहफा।
जब उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग के केबिनेट मंत्री जय प्रताप सिंह इस गांव के विकास को देखने के लिए गए तब उन्होंने वहां का आधुनिकरण देखकर काफी भाव विभोर हुए। इन सभी सुविधाओं को और नवीनीकरण करने के लिए 35 लाख रुपए की योजना को पारित करते हुए उस गांव को एक बेहतरीन तोहफा दिया।
उन्होंने ग्राम पंचायत के सामने कहा कि अगर एक ग्राम प्रधान सही तरीके से सरकार के द्वारा दिए गए पैसे का सही उपयोग करें तो भारत देश मैं विकास की एक लहर आ जाएगी। कैबिनेट मंत्री जी ने कहा कि गांव में ही यदि व्यक्तियों को सुविधाएं दी जाए तो वह कभी शहर की ओर पलायन नहीं करेगा और अपने गांव से ही रोजगार मैं वृद्धि करेगा।
सीसीटीवी कैमरे वजह से सभी ग्रामीण खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
जब गांव के लोगों से पूछा गया कि यहां पर आप सुरक्षित महसूस करते हैं। तब गांव की ही एक दुकानदार ने बताया कि वह रात 8:00 बजे तक अपनी दुकान को खोलते हैं रात को यदि लाइट जाती भी है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हर गली में सोलर लाइट और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिससे वह सुरक्षित महसूस करते हैं। अब चाहे रात हो या दिन वह कहीं भी घर से बाहर सुरक्षित जा सकते हैं। घर में शौचालय बनने से भी अब हर सुबह जल्दी उठने की भी चिंता खत्म हो गई है।
जहां आप लोग अखबारों में तथा न्यूज़ चैनलों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और शौचालय के दौरान रेप की खबरें पढ़ते हैं, वही उत्तर प्रदेश के इस गांव में ऐसी घटनाएं कोसों दूर रहती है यहां की बेटियां बेफिक्र होकर कहीं भी जा सकती है यहां के सभी युवा पढ़ाई के लिए फ्री वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं। फ्री वाई-फाई मिलने से यहां के व्यक्ति अब तकनीकी निपुणता हासिल कर रहे हैं।
गांव के ही एक एक व्यक्ति बताते हैं कि गांव में कभी भी पक्की सड़के नहीं थी। यहां हमेशा जलभराव तथा कीचड़ जैसी समस्याएं आम थी। यहां रोड पर गड्ढे हुआ करते थे जिनमें यहां के लोग कूड़ा कचरा भर देते थे। परंतु आज परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है। आज यहां साफ और स्वच्छ सड़कें बनी हुई है अब दिन हो या रात आंख बंद करके भी इन सड़को से गुजरा जा सकता है और गंदगी की समस्या बिल्कुल खत्म हो चुकी है।
लाउडस्पीकर के द्वारा पूरे गांव में सूचना पहुंचाना।
इस गांव में ग्राम प्रधान से लेकर चौकीदार तक हर कोई अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरीके से निभाते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर की देखरेख करने वाले प्रदीप कुमार जी बताते हैं कि वह सुबह-शाम गांव के लाऊड स्पीकर पर स्वच्छता के संदेश तथा संगीत को सुनवा ना इनका रोज का काम है। इनका कहना है कि गांव में कोई मीटिंग हो या पंजीरी बांटना हो सभी सूचना इस माइक से लाउडस्पीकर के द्वारा पूरे गांव में सूचना पहुंचा दी जाती है। जिसकी वजह से उन्हें किसी भी तरीके की सूचना के लिए घर घर नहीं जाना पड़ता।
18 वीं सदी का गांव आज 21वीं सदी में पहुंच चुका है। हर कोई व्यक्ति अपने घर के आगे साफ सफाई रखता है और घर का सारा कूड़ा कूड़ेदान में डाला जाता है। सुबह सफाईकर्मी आकर उस कूड़े को लेकर जाते हैं। पूरे गांव के सभी लोगों के सहयोग से यह गांव आज विकास की की दिशा में है।
रात को गश्त पर निकले चौकीदार ने कहा कि पहले जब वह ड्यूटी करते थे तब गलियों तथा सड़कों पर से निकलना मुश्किल था, घर घर जाना तो दूर की बात है। परंतु आज सभी जगह पक्की सड़कों का निर्माण हो चुका है जिससे वह अपनी ड्यूटी को बखूबी निभा रहे हैं।
फ्री वाई-फाई का उपयोग।
फ्री वाई-फाई के चलते यहां सभी व्यक्तियों को बाहर की सभी खबरें चुटकियों में मिल जाती है 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट ने कहा कि उसे पढ़ाई से संबंधित कुछ भी सर्च करना हो तो वह मोबाइल को तुरंत वाईफाई से कनेक्ट करके विषय से संबंधित पढ़ाई कर लेता है। अब उन्हें इंटरनेट के लिए रिचार्ज भी नहीं कराना पड़ता।
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आज गांव का प्रत्येक व्यक्ति खुश है वह सभी ग्राम के ग्राम प्रधान जी को धन्यवाद करते नहीं थकते। कि आज उनकी वजह से वह अपने गांव को छोड़कर नहीं जाना चाहते क्योंकि रोजगार तथा बच्चों की शिक्षा सभी कुछ इस गांव में शहरों के मुकाबले काफी बढ़िया है। यदि भारत वर्ष में प्रत्येक गांव के ग्राम प्रधान यदि अपने गांव को स्मार्ट गांव बनाने के लिए पहल करें, तो भारत देश विकासशील देश नहीं विकसित विकसित देश कहलाएगा।
हसुडी औसानपुर गांव के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस गांव की वेबसाइट digitalhasuri.com पर जा सकते है।
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