दोस्तों जीवन में सफल होने के लिए अमीर परिवार से ताल्लुक रखना जरूरी नहीं हैं, जरूरी है केवल अपनी कड़ी मेहनत पर विश्वास बनाये रखना और उसे पूरा करना। इस बात को जाने माने बॉडीबिल्डर हर्षित पांडेय ने सच करके बताया है जिन्हें आज भारत में Iron Man of India, Mr. India Bodybuilding आदि कई नामों से जाना जाता है।
अपनी जिद्द की वजह से बने बॉडी बिल्डर, 5 साल मे जीते कई गोल्ड मेडल।
harshit pandey bodybuilder success story तो चलिए बात करते हैं हर्षित पांडेय जी से जिन्होंने कई मुश्किलों से सामना करते हुए आज भारत के सफल प्रोफेशनल बॉडीबिल्डर बने हुए हैं।
पारिवारिक स्थिति
जाने-माने बॉडीबिल्डर हर्षित पांडेय नैनीताल के रहने वाले हैं। उनके पिता एक प्राइवेट स्कूल में क्लर्क के तौर में काम करते थे जबकि मां एक घरेलू महिला हैं। वह बताते हैं कि उन्हें बचपन मे अल्सर जैसी बीमारी थी। उनके पैनक्रियाज के पास 5.5cm साइज के तीन अल्सर थे, जिसकी वजह से वे काफी कमजोर थे और उनका वजन मात्र 42kg था जिस वजह से उन्हें अपने आप से ग्लानि महसूस होती। उन्होंने 12वीं पास करने के बाद 20 साल के हर्षित ने कॉलेज में दाखिला लिया, जहां पर उन्होंने कई हैल्थी और कमजोर छात्रों को देखा। उन्होंने महसूस किया कि कमजोर छात्रों पर हर कोई कमेंट्स कर रहे थे। यह बात उनके दिल मे घर कर गई उन्हे भी हैल्थी छात्रो की तरह दिखना था। उन्होने अपनी डेलि डाइट्स को बड़ा दिया परंतु इन सब का उनके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था।
जिम की शुरुवात।
हर्षित को उनके मित्र ने सलाह दी की वह जिम शुरू करे ताकि उनका वजन सही हो सके। अपने दोस्त की सलाह पर हर्षित ने जिम की शुरूआत कर दी लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से वे जिम की 500/- रूपये की फीस देने में असमर्थ थे, तब जिम के कोच ने उन्हें अपने जिम में आने की इजाजत तो दे दी परंतु इसके बदले मे उन्हे वर्कआउट के साथ-साथ जिम को मेन्टेन रखना था, वह सभी शीशों को साफ करते थे और जिम मे होने वाले छोटे मोटे काम को उन्हे करना होता था और कभी कभी उन्हें अपने कोच की गाड़ी को भी साफ करना पड़ता था। धीरे-धीरे समय के साथ उनके बॉडी में ग्रोथ आने लगी जहां पहले उनका वजन 42 किग्रा था वहीं अब वर्कआउट करने के बाद 52 किग्रा तक हो गया।
कोच की वजह से ज़िंदगी को मिला टर्निंग पॉइंट
21 साल की उम्र मे हर्षित को उनके कोच से जोनल कम्पटीशन के बारे में पता चला तब उन्होंने अपने कोच के कहने पर उस प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमे उन्होंने गोल्ड मैडल जीता। इसके बाद 2013 मे YMCA प्रतियोगिता के लिए उन्होने अपना टारगेट बनाया और कड़ी मेहनत मे जुट गए। हर्षित के मुताबिक उन्हें इस प्रतियोगिता में भाग लेने लिए कई सप्लीमेंट्स और हार्मोन्स लेने थे जो कि बहुत मंहगे आते थे। तब उनके कोच ने उन्हें खाने के लिए एक सप्लीमेंट्स का डब्बा दिया और उनके मित्र ने भी उन्हे अपनी दुकान से हर सप्ताह 2,3 अंडे की ट्रे दी। जिम मे कड़ी मेहनत और सप्लीमेंट्स से बॉडी मे काफी ग्रोथ अच्छी होने लगी जिससे उन्होंने YMCA की प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल प्राप्त क़र लिया। गोल्ड मेडल की चमक से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया और उन्होंने बॉडीबिल्डर बनने के बारे में विचार कर लिया।
पॉकेट मनी के तौर मिलते थे 35/- रूपये
हर्षित ने बताया जब वे कॉलेज में पढ़ने के लिए जाते थे तब उनकी मां उन्हें डाइट के लिए प्रतिदिन 35/- रूपये देती थी। केवल 35 ही थे जिन मे उन्हे किराया भी लेना था और जिम करने की वजह से अलग से एक्सट्रा डाइट भी लेना था। ऐसी स्थिति मे वे अपनी डाइट को पूरा करने के लिए अक्सर बस में सफर के दौरान टिकट नहीं ले पाते थे जिसकी वजह उन्हें कई बार बीच रास्ते में ही बस से उतार दिया जाता था। वे उन 35/- रूपये में से 10/- रूपये का पनीर लेते थे और 20/- का चिकन और 5/- रूपये की बचत करते थे।
कठिनाइयों भरे दिन
YMCA की प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल प्राप्त क़रने के बाद जब वे कई प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे तब उस दौरान उनके पिता को हार्ट अटैक आ गया। पिता को अचानक हार्ट अटैक आ जाने की वजह से उनके जीवन में कई परेशानियां और कठिनाइयां आ गई जिनका सामना वे बहुत ही हिम्मत के साथ कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने 6-7 महीने तक किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया और जल्द ही उन्हे आर्थिक परेशानी का भी सामना करना पड़ा।
कहां पर की नौकरी
घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए उन्होंने नौकरी के लिए कई ऑफिस में गए लेकिन उन्हें हर जगह से निराश होकर निकलना पड़ता था, तब एक दिन उनके सभी सर्टिफिकेट को देखने के बाद दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल में बॉडीबिल्डिंग ट्रेनर के तौर पर नियुक्त किया और साथ उन्हें 16,000/- रूपये का एक चैक दिया आईटीसी मौर्या में नौकरी करते हुए उन्होंने बॉडीबिल्डर बनने की शुरुआत कर दी परन्तु इसके लिए उनके माता-पिता सपोर्ट नहीं करते थे। उनके पिता को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन इसके बावजूद वे अपने घर से चुपके-चुपके बॉडी बनाने के लिए जिम में आते थे।
कई प्रतियोगिता में गोल्डमेडलिस्ट रहे
धीरे-धीरे उन्हीने फेडरेटशन प्रतियोगिता की तैयारी की और उसमे उन्होंने गोल्डमेडल प्राप्त किया। 9 अक्टूबर 2016 को नार्थ इंडिया के दिल्ली के द्वारका में होने वाली प्रतियोगिता में उनकी मां, छोटी बहन और मामाजी तीनों ने मिलकर उनके पिता को ले गए जहां वे वे पहले ही राउंड बाहर हो गए परन्तु अगले राउंड जो कि बॉडीबिल्डिंग की थी उसमे उन्होंने गोल्डमैडल जीता। उसके बाद उन्होंने उसी प्रतियोगिता में ओवर ऑल टाइटल में भी उन्होंने गोल्डमैडल प्राप्त किया।
पिता के द्वारा मिला सम्मान
आपकी जानकारी के लिए हम बता दे की हर्षित के पिता को बॉडी बिल्डिंग बिलकुल पसंद नहीं थी फिर भी परिवार की जिद्द की वजह से वह इस इस प्रतियोगिता मे आए। हर्षित के गोल्ड मेडल जीतने के बाद इसी प्रतियोगिता मे वहाँ के प्रेजिडेंट ने उनके पिता को स्टेज पर बुलवा कर सम्मानित किया और सभी के सामने हर्षित को अपने पिता के हाथों से ट्राफी दी गई तब से इनके पिता ने भी अपने पुत्र को सपोर्ट करना शुरू कर दिया। उसके बाद कई अन्य प्रतियोगिता मे मे भी गोल्ड मेडल जीते।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने किया सपोर्ट
जब वह नेशनल लेवल की बॉडीबिल्डर की प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे उस समय उन्हे फाइनेंशियल सपोर्ट की काफी जरूरत थी इसलिए वह होटल ITC में जॉब करते थे। उस समय वहाँ क्रिकेट टीम आकर रुकती थी। आने वाले क्रिकेट टीम को हर्षित रूटीन जिम, वर्कआउट कराते थे, जहां वे Indian Cricket Team के कप्तान विराट कोहली से मिले, तब विराट कोहली ने उनकी परिस्थिति को जानकर उन्हें बॉडीबिल्डिंग मे और बॉडीबिल्डर बने रहने के लिए प्रेरित किया और उनका उत्साह बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने हर्षित को अपनी ओर से 2 लाख रूपये का चैक भी दिया जो उस समय उनके लिए काफी जरूरी भी था।
नेशनल लेवल बॉडी बिल्डिंग मे जीता गोल्ड।
जब वह नेशनल लेवल की तैयारी कर रहे थे उस वक्त उनको होटल की ओर से 1 महीने की भी छुट्टी मिली। इस प्रतियोगिता में भारत के 17-18 राज्यों में से कई बॉडीबिल्डर्स ने भी प्रतियोगिता मे हिस्सा लिया हुआ था लेकिन इसमें वह ऑवर ऑल टाइटल नहीं जीत पाए परन्तु अपनी कैटेगरी में गोल्ड मैडल प्राप्त कर अपने सपने को हकीकत में बदल दिया।
दुर्घटना होने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी
कई अवार्ड्स से सम्मानित हर्षित के साथ एक दुर्घटना घट गई, उस वक्त वे कॉलेज के फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहे थे। उनके सीधे पैर में अंदरूनी चोट आ गई। उनका इलाज दिल्ली के जाने-माने हॉस्पिटल गंगा राम में चल रहा था जहां डॉक्टरों ने उन्हें बॉडीबिल्डिंग्स करने के लिए मना कर दिया क्योंकि अंदरूनी चोट होने की वजह से वे वॉर्मआउट नहीं कर सकते थे। जिसके लिए उन्होंने 8-9 महीने अपने घर में बैडरेस्ट किया लेकिन उनके मन में वापस बॉडी बिल्डिंग मे जाने की इच्छा प्रबल थी। उनके मुताबिक जब कोई शख्स किसी भी प्रतियोगिता में मैडल जीतता है, उसके लिए घर में बैडरेस्ट लेना मुश्किल होता है, यही उनके साथ भी हुआ। उन्होंने डॉक्टर की बात को अपने दिमाग में रखते हुए अपने मन की सुनी और धीरे-धीरे उन्होंने वॉर्मआउट करना शुरू कर दिया और जल्द ही ठीक होकर फिर से एक बार गोल्ड मैडल जीता।
हर्षित के प्रेरणास्रोत रहे
हर्षित ने बताया कि भारत के जाने माने बॉडी बिल्डर संग्राम चौधरी से उन्हें प्रेरणा मिलती है जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियन, यूनिवर्स चैंपियन और एशिया का खिताब अपने नाम किया हुआ है। वे उनके जीवन के बारे में, वर्कआउट की बातों को Google और Youtube की विडियो के जरिये सीखते थे। हर्षित बताते है की जब उन्होने बॉडी बिल्डिंग मे कई गोल्ड मेडल जीतने के बाद एक बार संग्राम जी से मिलने का मोका उन्हे मिला। उन्होने हर्षित को आगे बढ़ते रहे के लिए उत्साहित भी किया। आज के समय में हर्षित दिल्ली में उनके फिटनेस से संबंधित सभी कामों को देखते थे।
दोस्तों हर्षित अपने शुरुआती दिनों में जब वे काफी दुबले-पतले और कमजोर हुआ करते थे, उस वक्त उनके मन केवल हेल्थी बनने की इच्छा होती थी परन्तु उनके किस्मत में कुछ और ही लिखा हुआ था और उन्होंने हेल्थी बनने के लिए जिम जाना शुरू कर दिया जहां पर उनको बॉडबिल्डर बनने का सुनहरा मौका मिला और उन्होने अपनी कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। उन्होंने बॉडीबिल्डर के तौर पर होने वाली कई प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का रुतबा बढ़ाया है।
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