दोस्तों आज के दौर में प्रत्येक शख्स चाहे वह अमीर हो या गरीब हर व्यक्ति अपार खुशियां प्राप्त करना चाहता है परंतु यह इतना आसान नहीं होता उसके लिए उसे कठिन परिश्रम करना पड़ता है बुरे और अच्छे दिन भी देखने पड़ते हैं चाहे वह व्यक्ति किसी नौकरी पर हो या अपना खुद का व्यापार करता हो वह बिना मेहनत किए एक सुखी जीवन नहीं बता सकता। एक खुशहाल जीवन बिताने के लिए गरीब और अमीर अपने-अपने तरीके से संघर्ष करते हैं। कुछ लोगों की जिंदगी में संघर्ष इतने कठिन होते हैं की व्यक्ति अपने आप को असहाय महसूस करता है और सोचने लगता है कि शायद उसकी किस्मत में खुशियां है ही नहीं। परंतु उसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी मेहनत और लगन से जी तोड़ मेहनत करते हैं और आगे बढ़ने की राह पर निरंतर प्रयासरत रहते हैं
ऑनलाइन ब्लॉगिंग के जरिये बनाया करियर किया देश-विदेश का सफर। success story of travel blogger manu prakash tyagi.
ऐसे ही एक उदाहरण जिन्होंने अपने जीवन में अपने पिता और भाई को खोने के बाद कई कठिनाइयों और मुश्किलों से भरा सफर तय करके आज एक हिंदी ब्लॉग के माध्यम से अंतराष्ट्रीय स्तर पर हम सभी के सामने एक मिसाल बने हुए हैं। Manu Prakash Tyagi success story.
जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं, मनु प्रकाश त्यागी Manu Prakash Tyagi की जिन्होंने अपना एक हिन्दी ट्रैवल ब्लॉग “travelufo” बनाया है। जिसमे वह जहा भी ट्रैवल करते है वहा से संबन्धित जानकारी और चित्रो का उल्लेख करते है।
मनु प्रकाश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित एक छोटे से गांव बुडाना के रहने वाले हैं। पारिवारिक स्थिति सही न होने की वजह से उनके घर में शुरू से ही पारिवारिक-कलह का माहौल बना रहता था, जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई-लिखाई कम हुई। परंतु उन्हे बचपन से ही लिखिने का शौक था।
अध्यापक की नौकरी भी की ।
जब उन्होंने 10वीं के एग्जाम पास कर 11वीं में दाखिला लेने के लिए अपने पिता से फीस के लिए पैसे की मांग की लेकिन उनके पिता ने आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उन्हें मना कर दिया, उसके बाद से उन्होंने अपने पिता से कभी भी पैसे की मांग नहीं की और खुद अपने पैरो पर खड़े होने के लिए कोशिश मे लग गये जल्द ही उन्हे अपनी योग्यता की वजह से एक विद्यालय में अध्यापक की नौकरी मिल गई जहां उन्होंने करीब 2 साल तक बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने अध्यापन के साथ-साथ 12वीं के एग्जाम को अच्छे नंबरों से पास किया।
खुद का स्कूल खोला
जब उन्होंने अपना करियर टीचिंग में बनाने का विचार कर लिया तब 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर अपना एक पब्लिक स्कूल खड़ा कर लिया जिसमे पहले ही साल में काफी बच्चों ने पढ़ने के लिए दाखिला ले लिया, जिसकी वजह से उनके स्कूल में अच्छी प्रगति होने लगी।
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संघर्ष भरा समय समय आया
18 वर्ष की उम्र में जब उन्होंने अपनी 12वीं के एग्जाम पास कर लिए उसी के अगले साल सन 1999 में जमीन के विवाद के चलते उनके बड़े भाई की भी हत्या हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें और उनके परिवार को काफी दुःखभरा समय देखना पड़ा।
सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी
तब उनके माता-पिता ने अपने बड़े पुत्र की मृत्यु को देखने के बाद उनको अपने घर से कहीं दूर भेज दिया, जिससे कि उनके ऊपर कोई परेशानी या संकट नहीं आये। घर से दूर हो जाने के बाद वे गाज़ियाबाद जिले में आकर रहने लगे और उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। उसके बाद वे अपने घर वापस आ गए और करीब 22 वर्ष की उम्र में उनका विवाह जनवरी सन 2004 में लवी के साथ हो गया और दिसंबर सन 2004 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने अनुष्का रखा।
शादी के बाद खोला अपना कंप्यूटर सेन्टर
शादी हो जाने के बाद उन्होंने अपना एक कंप्यूटर कोचिंग खोला जिसके लिए उन्होंने कंप्यूटर में हार्डवेयर का कोर्स कम्प्लीट किया और वे अपने कंप्यूटर कोचिंग में बच्चों को कंप्यूटर के बारे में बताते थे। सन 2007 में उनके पिता की भी जमीन की रंजिश की वजह से हत्या हो गई, उस वक्त उनकी उम्र करीब 25 वर्ष की ही थी। पिता की म्रत्यु हो जाने के बाद उनके परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ते चले गये और 28 वर्ष की उम्र में उन्हें दुबारा से घर छोड़कर जाना पड़ गया और वे वापस गाज़ियाबाद जिले में आकर रहने लगे।
अपना खुद का बनाया पीजी (हॉस्टल)
गाज़ियाबाद में आकर उन्होंने व् उनकी पत्नी ने कड़ा संघर्ष किया और सबसे पहले उन्होंने अपना एक PG (हॉस्टल) बनाया, उसके बाद उन्होंने एक PG से दो PG किये। PG बनवाने के दौरान उन्होंने करीब 8 साल तक अपनी नौकरी भी की।
कहां-कहां घूमे
मनु बताते हैं कि वे एक ट्रेवल ब्लॉगर हैं। वह खाली समय पर कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। उन्हें शुरू से ही घूमने-फिरने का शौक था और इसी शौक की वजह से उन्होंने अपना एक ब्लॉग बनाकर ट्रेवल से संबन्धित बातों को लिखने की शुरुआत कर दी। मनु ने बताया कि उन्होंने भारत के चार धाम, उत्तरांचल के चार धाम, नौ ज्योर्तिलिंग, नौ देवियां, 51 शक्तिपीठ और कई शहर के हिल स्टेशनों में एक टारगेट निश्चित करके छुट्टियों के दौरान अपनी पत्नी के साथ मिलकर घूमने के लिए भी जाते थे।
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कम से कम बजट मे भारत भ्रमण
Manu Prakash Tyagi Success Story. वे हमेशा अपने बजट को बचाने की कोशिश में लगे रहते थे और साथ ही वह अपने ब्लॉग मे कम बजट मे कैसे घूमा जा सकता है इसको भी बताया करते थे। बजट को कम करने के लिए वे अधिकांश 200-250 लोगों के ग्रुप में भी जाते थे और कभी किसी महंगे होटल में नहीं रूकते थे। वे हमेशा किसी धर्मशाला, मंदिर या फिर कोई सस्ती सी जगह में जाकर ही रूकते थे। मनु ने बताया कि जहां लोग ट्रैकिंग करने के लिए 15-20 हजार रूपये देने के लिए तैयार हो जाते थे वहीं पर वे ट्रैकिंग करने के लिए मात्र 2-3 हजार रूपये ही खर्च करते थे। रहने के लिए वे होटल में कमरा बुक कराने की वजाये वे अपने साथ टेंट लेकर चलते थे और खाने के लिए वे सस्ते माध्यम की तलाश करते थे या फिर मैगी बनाकर ही काम चला लेते थे।
ट्रैवेलिंग में पैसे की करते थे बचत
मनु के मुताबिक जब उनकी पत्नी का बिज़नेस बढ़ गया तब भी उन्होंने घूमना बंद नहीं किया। उन्होने बाइक के साथ लद्दाक, नेपाल और भूटान में कम बजट के साथ एडवेंचर किया। जब उन्हें ट्रैकिंग करने का भी शौक हुआ तो उन्होंने 2-3 साल में ही करीब 25-30 ट्रैक कर लिए। उन्होने अब तक 5, 6 अलग-अलग देशो मे भी घूम चुके है और अधिकांश जगह वह 15 से 20 दिन तक रुक जाया करते थे। वह भी कम से कम बजट मे। विदेशों में अपने बजट को मैनेज करने के लिए वे किराये पर बाइक लेकर या फिर लोकल बस में ही घूमते थे।
अलग-अलग देशो मे खाने की समस्या: अलग-अलग देशो मे उन्हे सबसे बड़ी समस्या खाने की आती थी क्योकि अधिकांश जगह पर नॉन वेजिटेरियन खाना ही मिलता है और वेजिटेरियन भोजन काफी महंगा मिलता है। इसलिए वह रोड किनारे मिलने वाली छोटी स्टाल्स पर वेजिटेरियन फ्राइड राइस खाकर ही अपने 15-20 दिन गुजारते थे। जो की उनके बजट को कम बनाए रखने मे मददगार रहता था।
कहां से मिला ब्लॉग बनाने का आइडीया
मनु बताते हैं कि इंटरनेट के आने से पहले वे घूमने के लिए कहीं भी जाते थे तो वे भी हर शख्स की तरह नक्शे का उपयोग करते थे। परंतु इंटरनेट के आ जाने के बाद वे देश-विदेश में कहीं भी आसानी घूमने जा सकते थे, सफर के दौरान वे अपने स्मार्टफोन में इंटरनेट के जरिये ट्रैवेलिंग से संबंधित जानकारी प्राप्त करते है। इंटरनेट के जरिये ही उन्होने अपनी यात्रा के दौरान कई ऐसे इंग्लिश ब्लॉग भी मिले जिन्हें पढ़कर उन्हें काफी अच्छा लगा और अपनी यात्रा को रोमांचक और काफी आसान बनाया। बस यहीं से उन्होने सोचा की उन्हे भी अपनी यात्रा से संबन्धित जानकारी को और सभी लोगो के लिए लिखना चाहिये और उन्हें अपना खुद का एक ब्लॉग बनाने का आइडिया आया।
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Google इंडिया ने अपने ऑफिस मे बुलवाया
मनु जब भी कभी यात्रा से सबंधित जानकारी ढूंढते थे तो उन्हे सभी ब्लॉग इंग्लिश मे ही मिलते थे इसलिए मनु ने शुरू से अपने ब्लॉग में हिंदी भाषा का प्रयोग किया ताकि हिन्दी भाषी सभी लोगो को पूरी जानकारी आसानी से मिली जा सके। आज मनु को हिन्दी ट्रैवल ब्लॉग लिखते 10 साल से ज्यादा समय हो गया है जो की गूगल के लिए काफी आश्चर्यजनक था क्योकि शुरुवाती समय मे लोग हिन्दी मे ब्लॉग नहीं लिखते थे सभी इंग्लिश का प्रयोग करते थे इसी वजह से गूगल इंडिया ने इन्हे अपने ऑफिस मे 4 बार बुलवाया भी था। गूगल इंडिया के द्वारा इनसे पूछा गया था की कैसे आप 10 साल से हिन्दी ब्लॉग लिख रहे हो ? आज इनके हिन्दी ट्रैवल ब्लॉग को पढ़ने वालों की संख्या 30-40 लाख है। और इससे होने वाली कमाई भी कही ज्यादा है। Manu Prakash Tyagi success story.
दोस्तो मनु ने ये मुकाम एक दिन मे ही हासिल नहीं किया इसके पीछे उनकी लगन जो की बुरे दौर मे भी इन्होने नहीं छोड़ी और लगातार अपने काम मे लगे रहे और पीछे मुड़ के नहीं देखा। आज वह एक बेहतरीन बजट ट्रैवल ब्लोगर के रूप मे जाने जाते है।