वो कहते है ना की कुछ लोग समाज मे कुछ बड़ा करने के लिए ही जन्म लेते है और अपने आप अपने बलबूते पर ही कुछ करने की चाह रखते है तभी वह खुद को संतुष्ट रख पाते है।
ऐसे ही 19 वर्षीय एक शख्स हैं जिन्होने अपने पिता की सलाह की परवाह किये बिना ही अपना कदम बिज़नेस के क्षेत्र में बढ़ाया और ”वीआरएल लॉजिस्टिक्स कंपनी” की नींव रखकर शुरुआत की।
उधार से शुरू किया व्यापार आज बना 2000 करोड़ का ब्रांड।
success story of Vijay Sankeshwar हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के रहने वाले Dr. Vijay Sankeshwar की जिन्होंने अपने पिता के पुश्तैनी बिज़नेस को संभालने की जगह अपनी मेहनत से खुद का बिज़नेस खड़ा किया और आज एक सफल उद्योगपति बनकर सबके सामने हैं। जिन्हें लोग ट्रांसपोर्ट किंग के नाम से जानते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि कैसे उन्होंने इस मुकाम तक का सफर तय किया-:
नहीं मिला अपने परिजनों से सपोर्ट
विजय संकेश्वर का जन्म उत्तर कर्नाटक राज्य के गदग शहर में एक संपन्न परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ ही उनके ऊपर अपने घर के पुश्तैनी बिज़नेस को संभालने के लिए दबाव आ गया जिससे कि पिता के काम में हाथ बंट सके और उनका पुश्तैनी बिज़नेस में बढ़ोतरी हो सके लेकिन विजय को अपने पुश्तैनी बिज़नेस में काम पसंद नहीं आ रहा था जिससे वे संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने अपने बलबूते पर कुछ अलग कर दिखलाने की सोच रखी और उन्होंने अपने परिजनों की मदद लिए बिना ही विजय ने इधर-उधर से कुछ उधार रुपयों का बंदोवस्त करके सबसे पहले एक ट्रक से अपने ट्रांसपोर्ट बिज़नेस की शुरुआत करी।
विजय के पास 4300 भारी वाहनों का काफिला है
परिवार में उनके अलावा सात भाई बहन और भी थे जिसमे वे चौथे नंबर में आते थे। विजय ने अपनी पढ़ाई एक अच्छे शैक्षिक संस्थान से पूरी की परन्तु अपने जोश और जूनून के दम पर वे एक सफल उद्योगपति बने। शुरआत में उन्होंने इधर-उधर से उधार रुपयों का बंदोवस्त करके सबसे पहले एक ट्रक खरीदा जिसके जरिये उन्होंने अपना ट्रांसपोर्ट के बिज़नेस की शुरुआत की और आज व्यापार को चलते चलते उनके पास करीब 4300 भारी वाहन का काफिला है।
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कौन सा पुश्तैनी बिज़नेस है।
विजय के पिता का पुश्तैनी बिज़नेस किताबों का प्रकाशक एवं मुद्रक है। जो कि पिता ने अपने शुरुवाती समय मे प्रारम्भ किया था। उनके प्रकाशन हाऊस मे कई साहित्य और पत्रिका छपती है। आज विजय के भाई पिता के प्रकाशन हाऊस का संचालन करते है।
विजय के पिता शुरू से यही चाहते थे की वह उनकी तरह प्रकाशन हाऊस के व्यापार को संभाले। विजय के पिता ने उनको विजय प्रिंटिंग हाउस नाम से प्रिंटिंग प्रैस शुरू करवा के दी, जब वे 16 वर्ष के थे। उनके प्रिंटिंग हाउस मे उस समय केवल 2 कर्मचारी ही हुआ करते थे और उस प्रेस में एक प्रिंटिंग मशीन होती थी। उसी दौरान उन्होंने अपने प्रिंटिंग प्रेस को नवीनीकरण करवाया जिसमे करीब एक लाख रूपये का इन्वेस्ट हुआ, परन्तु वे एक ऐसी बिज़नेस से संबंधित योजना बना रहे थे जिसमे जल्द ही अधिक कमाई हो और शुरुवाती इनवेस्टमेंट कम हो।
जमीन से आसमान तक पहुंचने का सफर
नए व्यवसाय के लिए विजय ने काफी संभावना तलाश करने के बाद उन्हे ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र मे काफी संभावनाएं महसूस हुई। लम्बे समय तक चलने वाला सर्वेक्षण पूरा हो जाने के बाद सन 1976 में उन्होंने सबसे पहले एक ट्रक खरीदकर वीआरएल लॉजिस्टिक्स के नाम से अपनी कम्पनी का स्टार्टअप शुरू किया। समय के साथ परिवर्तन होने पर विजय संकेश्वर ने धीरे-धीरे अपनी कम्पनी का व्यवसाय का विस्तार कर्नाटक और हुबली तक में किया। बाद में सन 1983 में उन्होंने अपनी कम्पनी का नाम बदलकर विजयानंद रोडलाइन्स प्राइवेट लिमिटेड रख लिया।
विजय संकेश्वर ने अपने सपने को साकार करके दिखा दिया।
सन 1990 तक उन्होंने अपनी कम्पनी का टर्नओवर साल का 4 करोड़ रूपये से भी अधिक कर सफल कम्पनी बना दिया, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी कम्पनी का व्यवसाय धीरे-धीरे विस्तार करना शुरू कर दिया इसके अलावा उन्होंने अपनी कम्पनी के जरिये लोगों के लिए कूरियर की सर्विस भी देने शुरुआत कर दी। समय के साथ साथ वह एक बड़े उद्योगपति बनकर सबके सामने उभरकर सामने आ गए।
आसमान की बुलंदियों को महसूस करने लगे।
अपनी कम्पनी की सफलता को देखने के बाद विजय संकेश्वर ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वे हमेशा आगे ही बढ़ते गए। जल्द ही उन्होंने कूरियर सर्विस के बाद अपना कदम यात्री बस सर्विस से प्रारम्भ किया। शुरुवाती 4 बसो से 75 रुट्स पर 8 राज्यो को कवर करते थे और आज इनके काफिले मे 500 से ज्यादा बसे है।
Newspaper की भी शुरुआत की।
कर्नाटक में विजया कर्नाटक अखबार का टाइम्स ग्रुप में मर्ज (विलय) होने से पहले सबसे पहले सन 2007 तक विजय संकेश्वर वे विजया कर्नाटक अखबार के एकाधिकार मालिक बने रहे। यह अख़बार कर्नाटक राज्य में सबसे अधिक लोगों के बीच में बिकने वाला अखबार हुआ करता था। उन्होंने द्वारा से सन 2012 में दैनिक अख़बार बेचने की शुरुआत करी। यह अख़बार पूरे कर्नाटक राज्य में लोगों के बीच में विजय वाणी के नाम से बिकने वाला हुआ करता था।
राजनीती में भी अपना कदम बढ़ाया
अपने बिज़नेस को चलाने वाले विजय संकेश्वर उद्योगीपति बनने तक ही सिमित नहीं रहे बल्कि लोक कल्याण के लिए उन्होंने राजनीति में भी अपना कदम बढ़ाया। सबसे पहले वे भाजपा दल में शामिल हुए बाद में उन्होंने अपनी अलग से पार्टी बनाने के लिए भाजपा दल को छोड़ दिया और अपने बनाये हुए अलग से दल का नाम कन्नड़ नाडू पार्टी रखा। नॉर्थ धारवाड़ से भी उन्हें सांसद के लिए चुना गया। उसके बाद आगे चलकर वे येदियुरप्पा की भाजपा समर्थित पार्टी, और कर्नाटक जनता पक्ष में भी शामिल हुए जो आज के समय में भाजपा दल में ही शामिल हो चुकी है।
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एयरलाइन ब्रांड की शुरुवात
विजय संकेश्वर के बेटे ने आने वाले कुछ सालो मे अपने पिता के व्यापार को और कई गुना और बढ़ाने की परियोजना पर काम शुरू कर दिया है उन्होने अपनी खुद की एयरलाइन ब्रांड पर 1300 करोड़ के शुरुवाती इनवेस्टमेंट से काम शुरू कर दिया है।
16 साल से 66 साल तक के सफर पर अपनी खुद की मेहनत से आज विजय संकेश्वर 2000 करोड़ के मालिक बन चुके है। वह आज जिस मुकाम पर है वह वाकई लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
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