आज समय ऐसा आ गया है की व्यापर के हर कार्यक्षेत्रों में नित नए स्टार्टअप हो रहे है हमारे देश के युवा खेती-बाड़ी, इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग व एजुकेशन इत्यादि के स्टार्टअप करके एक अच्छे व्यापर को चला रहे है। इसी तरह कॉफी इंडस्ट्री में भी कई स्टार्टअप ने आज एक बड़े ब्रांड का रूप ले लिया है जैसे स्टारबक्स, बरीस्ता और कैफे कॉफी डे (CCD), इन सभी ने ब्रू कॉफी के कांसेप्ट को मार्किट में फैलाया और ये सभी आज एक बड़े ब्रांड का रूप ले चुके है।
कॉफी स्टार्टअप से तीन दोस्तों ने बदल ली अपनी जिंदगी।
Three friends changed his life from coffee startup आज कॉफी पीने का हर कोई दीवाना है। नौजवानों में कॉफी पीने की दीवानगी को देखकर कॉफी मार्केट के क्षेत्र में सेवेन बीन्स और फ्रेश ब्रू जैसे स्टार्टअप अपनी किस्मत आजमा रहे है।धीरे-धीरे सभी के बीच भारत में भी चाय की तरह कॉफी भी सभी की पसंद बनती जा रही है और आज के समय को देखकर कॉफी के नए-नए फॉर्मेट और फ्लेवर हमारे बीच नए-नए स्टार्टअप के साथ आ रहे है।
महसूस की परेशानी और मिल गया बिजनिस आईडिया।
आपको बता दें कि दिल्ली के रहने वाले तीन युवाओं ने सही समय को देखकर अपना बिज़नेस करने का निश्चय किया। दिल्ली में तीनों दोस्तों अश्वजीत सिंह, अजीत थांदी और अरमान सूद ने अपनी पढ़ाई के दौरान अच्छी कॉफी न मिलने की परेशानी को महसूस करते हुए अपना खुद का कॉफी हाउस स्टार्ट करने का विचार आया। इसी परेशानी की वजह से उन्हें अपने लिए बिज़नेस स्टार्टअप करने का आइडिया मिल गया।
टीनएजर्स के लिए बेस्ट कॉफी न मिलने की समस्या को सॉल्व करते हुए इन्होने सन 2016 में कॉफी स्टार्टअप को हकीकत में बदल दिया और ‘स्लीपी आउल‘ के नाम से अपना कॉफी स्टार्टअप की शुरुआत की। इनके द्वारा कॉफी को नए फ्लेवर और नए ट्विस्ट के साथ सभी के सामने प्रेजेंट किया है। इस स्टार्टअप के द्वारा वह कॉफी को इजी टू मेक और इजी टू ड्रिंक बेवरेज बनाने में सफल हुए है।
बताया जा रहा है कि उनकी कम्पनी पिछले दो वर्षों से 100% से भी अधिक ग्रोथ कर रही है। एक तरफ जहां भारत में सब लोगों की पसंदीदा चाय है तो वहीं दूसरी तरफ कॉफी भी युवाओ की पसंदीदा बेवरेज बन रही है। ऐसे में नए फ्लेवर और फॉर्मेट लोगो को काफी भा रहे है।
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ऐसे हुई शुरुआत………………
दिल्ली के रहने वाले अश्वजीत सिंह, अजीत थांदी और अरमान सूद ने अपने बिज़नेस स्टार्टअप करने के लिए अपनी पर्सनल सेविंग और पेरेंट्स से हेल्प लेकर 12 लाख रुपये में ‘स्लीपी आउल‘ का सेटअप किया। जल्द ही उनके बिज़नेस की तरक्की को देखकर उन्हें डीएसजी पार्टनर की 3.5 करोड़ रुपये की फंडिंग भी मिली। जिससे उनके बिज़नेस की ग्रोथ रेट काफी ऊपर होने लगी।
इस फंडिंग की पूंजी को कंपनी के द्वारा बिज़नेस में प्रोडक्ट डेवलेपमेंट और लोगों के बीच अपने प्रोडक्ट की पहुंच बढ़ाने में लगा दिया। आज उनकी कम्पनी ‘स्लीपी आउल कॉफी‘ हाल ही में 25 हजार से भी अधिक ग्राहकों के बीच में पहुंच चुकी है। कुछ सालों में ही उनकी कम्पनी का ग्रोथ रिकॉर्ड 100 फीसदी पहुंच चुका है। वो जल्द दो सालों के अंदर ही अपने बिज़नेस के मौजूदा 100 रिटेल स्टोरों को बढ़ाकर 1000 पर लेकर जाने का लक्ष्य रखा है।
दुनिया में भारत की कॉफी की हिस्सेदारी।
कॉफ़ी का उत्पादन भारत के मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। यहाँ कॉफी का कुल उत्पादन 8,200 टन होता है। जहां 53 फीसदी कर्नाटक राज्य से, 28 फीसदी केरल से और 11 फीसदी तमिलनाडु से उत्पादन किया जाता है।
दुनिया भर में भारत की कॉफी सबसे अधिक गुणवत्ता वाली बेहतरीन कॉफी मानी जाती है क्योंकि भारत में मिलने वाली कॉफी को छाया में उगाया जाता है जबकि अन्य जगहों से मिलने वाली कॉफी को सीधे सूर्य के प्रकाश में उगाया जाता है। भारत में रहने वाले 2.5 लाख लोग कॉफी का उत्पादन करते हैं जिनमें से 98 प्रतिशत छोटे उत्पादक हैं। आज से एक दशक पहले भारत में कॉफी का उत्पादन दुनिया के कुल उत्पादन का 4.5 फीसदी था। परन्तु आज यह काफी बढ़ गया है।
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भारत में उगाये जाने वाली कॉफी का 80 फीसदी हिस्सा आज निर्यात होता है। जिनमे से 70 फीसदी हिस्सा केवल जर्मनी, फ्रांस, रूस, USA, जापान, बेल्जियम, ग्रीस, स्लोवेनिया, और नीदरलैंड्स में ही निर्यात होता है। भारत में मिलने वाली कॉफी को ‘भारतीय मानसून कॉफ़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया में मिलने वाली कॉफी के मुकाबले भारत की कॉफी का स्वाद काफी बेहतर होता है।
कॉफी हाउस का भारत में इतिहास।
तीनो दोस्तों ने अपने ब्रांड को पॉपुलर करने के लिए फ्लेवर से लेकर मैनेजमेंट तक में बदलाव किया है ताकि लोग इसे पसंद कर सके। वह सभी अपने ब्रांड को मार्किट में यूनिक ब्रांड के रूप में देखना चाहते है। तीनो दोस्तों ने अपने स्टार्टअप की शुरुवात दिल्ली से की क्योकि आपको यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि देश का पहला कॉफी हाउस 27 अक्टूबर, 1957, नई दिल्ली में स्थापित किया गया। जिस वजह से उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुवात दिल्ली से की।
भारतीय कॉफी हाउस की श्रंखला का धीरे धीरे पुरे देश में विस्तार हो गया। सन 1958 के आखिरी महीने तक थ्रिसुर, पोंडिचेरी, नागपुर, जबलपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, तेलीचेरी, पुणे, मुम्बई और कोलकाता में इसकी कई ब्रांच खोली जा चुकी थीं। देश में इन कॉफी हाउस को 13 सहकारी समितियों के द्वारा चलाया जाता है जिसे उन प्रबंधन समितियों के द्वारा चलाया जाता है। जिनका नियंत्रण कर्मचारियों के द्वारा होता है।
दुनिया की सबसे मॅहगी कॉफी शायद ही आप पी पाए।
कॉफी के प्रति कुछ लोगों की दीवानगी इस प्रकार है कि वह बिना देखे और पीकर ही बता देते हैं कि वह किस ब्रांड की कॉफी है। ‘सिवेट कॉफी‘ के नाम से मशहूर दुनिया की सबसे महंगी कॉफी है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस कॉफी का निर्माण बिल्ली की पॉटी से किया जाता है। ‘सिवेट कॉफी’ का स्वाद जितना लाजवाब होता है उससे कहीं अधिक इसकी कीमत होती है। इस कॉफी को बनाने में काफी लंबा प्रोसेस होता है जिसकी वजह से इसकी कीमत काफी महंगी हो जाती है। इन कॉफी के लिए कई लेवल के फ़िल्टर प्लांट लगते है जो इस कॉफी के टेस्ट को कई गुना बड़ा देते है।
अब तक यह कॉफी सुमात्रा के इंडोनेशियाई में काफी प्रचलित थी परंतु अब यह कॉफी भारत में भी मिलने लगी है। इसकी एक कप की कीमत 11,000 रुपये होती है। ये कॉफी भारत में आठ हजार से पंद्रह हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिल रही है, जबकि अन्य खाड़ी देशों और यूरोपीय देशो में इसकी कीमत प्रति किलोग्राम पचीस से पैंतीस हजार रुपये है। हाल ही में कर्नाटक में ‘सिवेट कॉफी’ का स्टार्टअप सीसीए (Coorg Consolidated Commodities) नाम से शुरू हुआ और इस स्टार्टअप के द्वारा इस कॉफी को उन्होंने ‘ऐनीमैन’ के नाम से बेचना शुरू किया।
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अब तक तो आप समाज चुके होंगे की भारत में चाय ही नहीं कॉफी का क्रेज भी काफी है। स्टार्टअप आईडिया के लिए किसी भी प्रकार की जरुरत नहीं होती बस आपके आस पास की कमी को महसूस करे और उसे स्टार्टअप के रूप में प्रेजेंट करे। तीनो दोस्तों ने एक अच्छी कॉफी की जरुरत को महसूस कर उसका स्टार्टअप शुरू किया और आज इनकी कंपनी का टर्नओवर करोडो में है।
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